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सिर पे विराजे गंगा की धार लिरिक्स, Sir Pe Viraje Ganga Ki Dhar Lyrics

Sir Pe Viraje Ganga Ki Dhar Lyrics

सिर पे विराजे गंगा की धार लिरिक्स


सिर पे विराजे गंगा की धार 
कहते है उनको भोलेनाथ 
वही रखवाला है इस सारे जग का

हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है सर्पो की माला 
माथे पे चन्द्र सोहे अंगो पे विभूति लगाये 
भक्त खड़े जयकार करे 
दुखियो का सहारा है मेरा भोलेबाबा 
वही रखवाला है इस सारे जग का

सिर पे विराजे गंगा की धार 
कहते है उनको भोलेनाथ 
वही रखवाला है इस सारे जग का

काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी 
अंगो पे विभूति रमाये देखो वो है अवघडदानी 
भक्त तेरा गुणगान करे 
दुखियो का सहारा है मेरा भोलेबाबा 
वही रखवाला है इस सारे जग का

सिर पे विराजे गंगा की धार 
कहते है उनको भोलेनाथ 
वही रखवाला है इस सारे जग का

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